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मंगलवार, 31 जनवरी 2017

Dil Ko Ummed Hai

Aaj bhi dil ko ye ummeed hai
Ke tu mil jaye mujhe kahi.

Aaj bhi dil ko ye ummeed hai……………

Ay khuda hai iltijaa
Mujhe yaar se mila de kahi
Chahe hakikat me nahi
Mere khawaabo me sahi
Meri kismet se nahi
Meri hasrat se sahi.

Aaj bhi dil ko ye ummeed hai…………

Ye tadap, ye chuban
O sanam kab tak
Ab to aa ja yaha
Sun ja dil ki sadaa
Phir dekh ye sama
Hai kitna jawaaN
Ye falak, ye zameeN
Tere sang hai sabhi
Ye hawa, ye ghata
Tujhpe hai sab fidaa
Mai yaha tu kaha
Phiru yaha se waha
Dhudu tujhe kaha kaha
Ab to mil ja sanam

Aaj bhi dil ko ye ummeed hai…………


हम दोनों इश्क़ में जुदा होकर एक दूसरे को भूल जाये | गम ए इश्क़ में भी खुदा करे ये मुक़ाम न आये.


हम दोनों इश्क़ में जुदा होकर एक दूसरे को भूल जाये
गम ए इश्क़ में भी खुदा करे ये मुक़ाम न आये.

एक दूसरे से दूर रहे दूर रहकर देखा करे
आहें भरे न शिकवा करे आसु बहें न रोया करे
ऐसे आलम में कोई तेरा ज़िक्र न किया करे
कही ऐसा न हो के दिल की हालत बिगड़ जाये

हम दोनों इश्क़ में जुदा होकर एक दूसरे को भूल जाये
गम ए इश्क़ में भी खुदा करे ये मुक़ाम न आये.

हर कोशिश करके देखी हर जतन किया हमने
सब तदबीरें उलटी हुई कुछ पाया न हमने
किससे शिकायत करे किस्मत का लिखा पाया हमने
ऐसे आलम में दम घुटता है दम घुटके मर न जाये

हम दोनों इश्क़ में जुदा होकर एक दूसरे को भूल जाये
गम ए इश्क़ में भी खुदा करे ये मुक़ाम न आये.

इस ज़िन्दगी की महफ़िल में तन्हा रह गए हम
दूर निकल गए हो तुम वही रह गए हम
इस हू हा के आलम पे दिल तनहा रोता है
तुम्हे खोना ऐसा है जैसे सारी जागीरें लुट जाये.

हम दोनों इश्क़ में जुदा होकर एक दूसरे को भूल जाये
गम ए इश्क़ में भी खुदा करे ये मुक़ाम न आये.








दिल धड़कता है तुम याद बहुत आते हो | न ये धड़कन रुकती है न तुम खवाब से जाते हो


दिल धड़कता है तुम याद बहुत आते हो
न ये धड़कन रुकती है न तुम खवाब से जाते हो

नज़रों से नज़रे मिलती है
तुम दिल में समाते जाते हो
मधमस्त नशा हो जाता है
जब तुम निगाहो से पिलाते हो

दिल धड़कता है तुम याद बहुत आते हो
न ये धड़कन रुकती है न तुम खवाब से जाते हो

घटा घिर के आती है
जब तेरी ज़ुल्फो का साया पाती है
हर शे पे जवानी छा जाती है
जब तेरी खुशबु पाती है

दिल धड़कता है तुम याद बहुत आते हो
न ये धड़कन रुकती है न तुम खवाब से जाते हो






महजबी तू है मयकश की पुड़िया | दिलकश नाज़नीं है बहारों की गुड़िया.


महजबी तू है मयकश की पुड़िया
दिलकश नाज़नीं है बहारों की गुड़िया

कभी बन जाती है तू शोख़ बुलबुल
कभी शाखों पे चहकती है मुनिया
गुलशन की ज़ीनत तेरे दम से है
तू है मेरे दिल की रंगीन चिड़िया

महजबी तू है मयकश की पुड़िया
दिलकश नाज़नीं है बहारों की गुड़िया

तेरे जुल्फों का पैच ओ ख़म कम नहीं
ये मत सोच मेरे हौसलों में दम नहीं
तेरे नाम से है मेरी सारी ताकतें
तेरे सहारा हो तो हो दूर दुखों की नदियां

महजबी तू है मयकश की पुड़िया
दिलकश नाज़नीं है बहारों की गुड़िया




हिन्द का परचम लहराया है | हिन्द का परचम लहराएगा | ये देख दुश्मन थर्राया है | ये देख दुश्मन थर्रायेगा




हिन्द का परचम लहराया है
हिन्द का परचम लहराएगा
ये देख दुश्मन थर्राया है
ये देख दुश्मन थर्रायेगा

बड़े बड़े सूरमा आये थे
इस नगरी को लूटने आये थे
फूट डाल कर राज करने आये थे
खाक में हमने उनको मिलाया है
ख़ाक मैं हर दुश्मन मिल जायेगा.
हिन्द का परचम लहराया है
हिन्द का परचम लहराएगा…………………………

हिन्द का परचम लहराया है
हिन्द का परचम लहराएगा
ये देख दुश्मन थर्राया है
ये देख दुश्मन थर्रायेगा

ये सरहद हमारी है
हम इसके मतवाले है
दूर हटो गुलशन से हमारे
हम इसके रखवाले है ते
रे मंसूबो को हम जानते है
तेरे मंसूबो को हमने तोडा है
तेरे हर मंसूबो को हम तोड़ेंगे
हिन्द का परचम लहराया है
हिन्द का परचम लहराएगा………………………

हिन्द का परचम लहराया है
हिन्द का परचम लहराएगा
ये देख दुश्मन थर्राया है
ये देख दुश्मन थर्रायेगा







सोमवार, 30 जनवरी 2017

सहर की ज़मीन बता रही है | कल आसमां रोया था | Poet Diary


सहर की ज़मीन बता रही है
कल आसमां रोया था
दुःख था उसे चाँद के खोने का
गम था उसे तारो के डूबने का
किस पर बयां करता अपना हाल ए दिल
सूरज भी कोई हमनवां न था
आसु तो उमडने थे उमड़ पड़े
इन्हें अपनाया ज़मीन ने
तभी तो बयां कर रही है
कल आसमान रोया था

रात चमगादड़ और उल्लुओ के लिए बनी है | ऐ बुलबुल तू क्यों शाख से अपने उडी है


रात चमगादड़ और उल्लुओ के लिए बनी है
ऐ बुलबुल तू क्यों शाख से अपने उडी है

तेरी आज़ादी के नाम पे तुझे नचाने वाले
ये लोग नहीं है तुझे बचाने वाले

तू हीरे मोती से जड़ा नायाब नगीना है
नुमाया रात में मुश्किल तेरे लिए जीना है

तुझे नाज़ इस देश मे देवी के किरदार पे है
मगर इज्जत और सम्मान सीता के किरदार पे है

हम भी इस देश के देवता कुछ कम नहीं है
मगर अब राम की भूमिका मे हम नहीं है

ये तनक़ीद तेरी आज़ादी के ख़िलाफ़ नहीं है
मगर ज़माने को अब तेरा लिहाज़ नहीं है

हम इन परिंदों से ज्यादा तो आज़ाद नहीं है
मगर शाम में इनकी भी परवाज़ नहीं है

ऐ बुलबुल तेरी अस्मत खुद तेरे हाथ मे है
वार्ना हर चमगादड़ और उल्लू तेरी घात में है

रेल और ज़िन्दगी | ये रेलगाड़ी है या ज़िन्दगी की कहानी है | सटपट सटपट दोड़ती जैसे जीवन रवानी है | Poet Diary


ये रेलगाड़ी है या ज़िन्दगी की कहानी है
सटपट सटपट दोड़ती जैसे जीवन रवानी है

दिन रात दौड़ती चलती नए मंज़र से गुज़रती
खेत खलियान पहाड़ चट्टान नदी नालों से उभरती
सटपट सटपट  दौड़ती भागती जीवन की तरह

जो जनरल डब्बा है वो गरीब अपना है
लड़ता झगड़ता गिरता पड़ता साथ में चलता है
अपनी जगह के लिए मरता है मगर दुसरो को मरता नहीं

जो स्लीपर डिब्बा है वो मिडिल क्लास अपना है
रहने की जगह लिए अपने ही धुन में चलता है
सुख दुःख में साथ रहता है हमसफ़र बन के चलता है

उप्पर मिडिल क्लास का जलवा है थर्ड AC का डब्बा
अपने में रहता है बड़े लोगो के जलवे दिखाते है
कुछ अकड़ता है कभी कभी हमसफ़र भी बन जाता है
सुख दुःख भी बाट लेता है मगर अपनी अदा में चलता है

अब चलते है सेकंड AC के डब्बे की और
ये है अपना अमीर तबका
अपने में रहना पर्दा खींचे हुए जीना
न किसी के सुख दुःख में शरीक न हमसफ़र किसी का
अपनी अकड़ में रहना अपने आप में जीना
जनरल और स्लीपर डिब्बे को देख रश्क़ करना

फर्स्ट AC के कोच में है इलीट क्लास का जोर
अपने में रहना अपनी अपनी करना
न अगल का ध्यान न बगल का ध्यान
खुद को समझे है भगवान्

ये सब जलवे रेलगाड़ी अपने में समेटे है
मगर जब कोई आपदा आती है तो क्या जनरल क्या फर्स्ट AC
सब एक कतार में खड़े करते है फ़रयादें

ये आगाज़ ए मोहब्बत का सिलसिला है | कोई मज़बूरी नहीं दिल से है सनम | Poet Diary


ये आगाज़ ए मोहब्बत का सिलसिला है
कोई मज़बूरी नहीं दिल से है सनम
एक दबी आग को भड़काया है तुमने
एक चिंगारी को शोला बनाया है तुमने
अब इसी आग में जलना है तुम्हे
अपनी रातें मेरे नाम करना है तुम्हे
हम डूब चुके है दरया इ इश्क़ में
अब तुम्ही को पार लगाना है सनम
तुम दे दो साथ तो फिर बने कहानी मेरी
वरना इसी दरया में डूब के मरना है मुझे
तुम्हे नींद तुम्हारी कितनी अज़ीज़ है
मुझे तेरी यादों में जागना अज़ीज़ है
तुम भी तो जागते हो मेरे खातिर
भले दिल से न सही मज़बूरी ही सही
बस यही सहारा मेरे जीने को बहुत है
यही अहसान तुम्हारा मुझपे बहुत है
ये सिलसिला चलता है जब तक इसे चलने दो
ये रुकेगा नहीं ये थमेगा नहीं
जो रोकना है तुम्हे तो इसके लिए शर्त है
मुझे तुम क़बूल हो तुम्हें कबूल करना है मुझे

एक फ़लसफ़ाई क़लाम | इब्तिदा मै तनहा थे इन्तिहाँ में तनहा होंगे | Poet Diary


इब्तिदा मै तनहा थे इन्तिहाँ में तनहा होंगे
यानि तनहा ज़माने में आये थे तनहा जाना है
यही ज़िन्दगी का हासिल है यही  हकीकत है
फिर विसाल ए यार मयस्सर न हुआ तो क्या हुआ?
फिर ता उम्र जुस्तुजू ए यार का ख़वाब कैसा?
फिर इस फानी दुनिया में वफ़ा की उम्मीद किससे?
फिर ज़िक्र ए यार का गिला किससे, बेवफाई कैसी?



शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

आपने अपनी आँखों में दुनिया बसा रखी है | मैंने उम्मीदें बहुत इनसे सजा रखी है | Poet Diary


अपनी आँखों में आपने दुनिया बसा रखी है
मेरे दिल की उम्मीदें इसमें समा रखी है

मरने का कोई सबब हमें और ग़वारा नहीं है
अपनी तो तेरी इन आँखों में ही क़ज़ा रखी है

अब नही हे कोई दवा मेरी तबीबों के पास
अब तो तेरे दीदार में ही अपनी शफा रखी हे

कोई तुमसा हो कही ये मुमकिन ही नहीं है
क्या खूब तुमने अपने में अदा रखी है

सारे गुलशन में कोई आपकी मिसाल नही हे
अपने सब गुलों की रंगतें उड़ा रखी है

अपनी इबादतों का हमें अब असर देखना हे
बस आपकी इक हाँ में अपनी दुआ रखी हे.

ये सब खेल मोहब्बतों के क़ामयाब हे
गर दोनों ने जो पासबान-इ-वफ़ा रखी हे.

उन्हें ढूंढने की कोई सूरत कोई ताबीर नहीं मिलती | ये वो एक मूरत है जो मेरी तकदीर मे नहीं मिलती | Poet Diary


उन्हें ढूंढने की कोई सूरत कोई ताबीर नहीं मिलती
ये वो एक मूरत है जो मेरी तकदीर मे नहीं मिलती

तेरी परछाई से हम दिल ऐ  बेताब को कैसे बहलायें
बातें जो तुझ में है वो तेरी तस्वीर मैं नहीं मिलती

तेरी जुल्फों को घटा और चश्मों को सगर कहना
ये सब लज़्ज़तें और कैफ़ियतें तेरी तस्वीर मे नहीं मिलती

हमें मंज़ूर नहीं है रिहाई, हमें क़ैद मे रहने दो
कोई जगह और तेरी जुल्फों की ज़ंजीर सी नहीं मिलती



तेरे रुख़सार से उड़ती ज़ुल्फ़ों की लटायें | सारे आलम पे जैसे घिरती हो घटायें | Poet Diary

तेरे रुख़सार से उड़ती ज़ुल्फ़ों की लटायें
सारे आलम पे जैसे घिरती  हो घटायें.

तेरी अदाओं से लबरेज़ ये मख़्मूर जलवे
क्या रहे होश मे सब कुछ है लुटायें

अब अपना शौक और उनका करम देखना है
फ़िक्र ऐ अन्जाम क्या है, हाल ए दिल तो सुनायें

बस उन्हें ख़्वाब मे आने भर की देर है
फिर बाद उसके ये मौसम हमें सतायें

हाल ए दिल निगाहों से भी होते है अयाँ
क्या लफ़्ज़ों से उन्हें हम सब कुछ बतायें

इश्क़ के खेल मे कुछ बात आप समझी जाये
हर बात उन्हें बताएं तो क्या क्या बतायें

दीदार ऐ माहताब ज़मीं पे हो जाये सोहैब

जो हवाएं रुख से उनके चिल्मन को हटाएं

नज़रें मिली वो दिल मे समाते चले गए | मुझ से मिले वो ऐसे हराते चले गए | Poet Diary


नज़रें मिली वो दिल मे समाते चले गए
मुझ से मिले वो ऐसे हराते चले गए

उनकी निगाह ऐ नाज़ की उल्फत के सबब हम
सब कुछ उनपर अपना लुटाते चले गए

न छेड़ हाल ऐ दिल, उन्हें दरकार ऐ वक़्त है
वो शौक इ इंतज़ार ऐसे बढ़ाते चले गए

हसना बुरा नहीं था मगर उनकी वो हसीं
एक उम्र के लिए वो रुलाते चले गए

उस नाज़ का ज़िक्र क्योकर हम न करें
हम खुद को ऐसे ही बहलाते चले गए



उम्मीद | उन्हें पाने की उम्मीद ऐसी बनी है | दिल मै और दिमाग में ठनी है | Poet Diary


उन्हें पाने की उम्मीद ऐसी बनी है
दिल मै और दिमाग में ठनी है

इश्क़ की नातर्जुबे कारिये से अपने
बात जो बिगड़ी तो बिगड़ी न बनी है

गुलशन ऐ कश्मीर या तुम्हे देखें
सब सिफ़त ऐ गुलशन तुमसे ही मिली है

दिल मै अपने फिर इज़्तिराब सी उठी है
बाद मुद्दत के ज़िक्र ऐ यार चली है

फिजायें सारी मोअत्तर होती जाती है
कु ऐ यार से जो जो हवायें चली है



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