महजबी तू है मयकश की
पुड़िया
दिलकश नाज़नीं है
बहारों की गुड़िया
कभी बन जाती है तू
शोख़ बुलबुल
कभी शाखों पे चहकती है
मुनिया
गुलशन की ज़ीनत तेरे
दम से है
तू है मेरे दिल की
रंगीन चिड़िया
महजबी तू है मयकश की
पुड़िया
दिलकश नाज़नीं है
बहारों की गुड़िया
तेरे जुल्फों का पैच ओ
ख़म कम नहीं
ये मत सोच मेरे
हौसलों में दम नहीं
तेरे नाम से है मेरी सारी
ताकतें
तेरे सहारा हो तो हो दूर
दुखों की नदियां
महजबी तू है मयकश की
पुड़िया
दिलकश नाज़नीं है
बहारों की गुड़िया
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