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शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

आपने अपनी आँखों में दुनिया बसा रखी है | मैंने उम्मीदें बहुत इनसे सजा रखी है | Poet Diary


अपनी आँखों में आपने दुनिया बसा रखी है
मेरे दिल की उम्मीदें इसमें समा रखी है

मरने का कोई सबब हमें और ग़वारा नहीं है
अपनी तो तेरी इन आँखों में ही क़ज़ा रखी है

अब नही हे कोई दवा मेरी तबीबों के पास
अब तो तेरे दीदार में ही अपनी शफा रखी हे

कोई तुमसा हो कही ये मुमकिन ही नहीं है
क्या खूब तुमने अपने में अदा रखी है

सारे गुलशन में कोई आपकी मिसाल नही हे
अपने सब गुलों की रंगतें उड़ा रखी है

अपनी इबादतों का हमें अब असर देखना हे
बस आपकी इक हाँ में अपनी दुआ रखी हे.

ये सब खेल मोहब्बतों के क़ामयाब हे
गर दोनों ने जो पासबान-इ-वफ़ा रखी हे.

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