अपनी आँखों में आपने दुनिया बसा रखी है
मेरे दिल की उम्मीदें इसमें समा रखी है
मरने का कोई सबब हमें और ग़वारा नहीं है
अपनी तो तेरी इन आँखों
में ही क़ज़ा रखी है
अब नही हे कोई दवा
मेरी तबीबों के पास
अब तो तेरे दीदार में ही अपनी शफा रखी हे
कोई तुमसा हो कही ये मुमकिन
ही नहीं है
क्या खूब तुमने अपने में
अदा रखी है
सारे गुलशन में कोई
आपकी मिसाल नही हे
अपने सब गुलों की
रंगतें उड़ा रखी है
अपनी इबादतों का हमें
अब असर देखना हे
बस आपकी इक हाँ में
अपनी दुआ रखी हे.
ये सब खेल मोहब्बतों
के क़ामयाब हे
गर दोनों ने जो
पासबान-इ-वफ़ा रखी हे.
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