इब्तिदा मै तनहा थे
इन्तिहाँ में तनहा होंगे
यानि तनहा ज़माने में
आये थे तनहा जाना है
यही ज़िन्दगी का हासिल
है यही हकीकत है
फिर विसाल ए यार
मयस्सर न हुआ तो क्या हुआ?
फिर ता उम्र जुस्तुजू
ए यार का ख़वाब कैसा?
फिर इस फानी दुनिया
में वफ़ा की उम्मीद किससे?
फिर ज़िक्र ए यार का
गिला किससे, बेवफाई कैसी?
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