उन्हें पाने की उम्मीद ऐसी बनी है
दिल मै और दिमाग में ठनी है
इश्क़ की नातर्जुबे कारिये से अपने
बात जो बिगड़ी तो बिगड़ी न बनी है
गुलशन ऐ कश्मीर या तुम्हे देखें
सब सिफ़त ऐ गुलशन तुमसे ही मिली है
दिल मै अपने फिर इज़्तिराब सी उठी है
बाद मुद्दत के ज़िक्र ऐ यार चली है
फिजायें सारी मोअत्तर होती जाती है
कु ऐ यार से जो जो हवायें चली है
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