सहर की ज़मीन बता रही है
कल आसमां रोया था
दुःख था उसे चाँद के खोने का
गम था उसे तारो के डूबने का
किस पर बयां करता अपना हाल ए दिल
सूरज भी कोई हमनवां न था
आसु तो उमडने थे उमड़ पड़े
इन्हें अपनाया ज़मीन ने
तभी तो बयां कर रही है
कल आसमान रोया था
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