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सोमवार, 30 जनवरी 2017

सहर की ज़मीन बता रही है | कल आसमां रोया था | Poet Diary


सहर की ज़मीन बता रही है
कल आसमां रोया था
दुःख था उसे चाँद के खोने का
गम था उसे तारो के डूबने का
किस पर बयां करता अपना हाल ए दिल
सूरज भी कोई हमनवां न था
आसु तो उमडने थे उमड़ पड़े
इन्हें अपनाया ज़मीन ने
तभी तो बयां कर रही है
कल आसमान रोया था

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