कच्चा तेल जिससे पेट्रोलियम ,डीज़ल ,नेचुरल गैस, केरोसिन आदि कई तरह का उत्पादन होता है। पिछले कुछ वर्षो से लगातार इसके दामों में गिरावट आ रही है लेकिन कोहराम तब मच गया जब अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) में बीते सोमवार को इसका भाव शून्य से भी नीचे जाकर $-37.63 प्रति बैरल तक जा पंहुचा। इसका मतलब ये है के कंपनी अपनी जेब से पैसे देकर तेल बेच रही है।
लेकिन भारत के लिए ये ज्यादा चिंता की बात नहीं है क्युकू भारत की तेल की आपूर्ति ब्रेंट क्रूड जो रूस का इंडेक्स है वहां से और खाड़ी देशों से होता है। ब्रेंट क्रूड उच्चतम गुणवत्ता से भरपूर होता है और लगभग कच्चे तेल का 75% भाव यही से तय होता है। ब्रेंट क्रूड भी लगभग $20 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। ये भी पिछले 2 दशक के अपने न्यून्तम स्तर पर है। खाड़ी देश सिर्फ तेल पर ही निर्भर करते है और तेल के भाव में लगातार गिरावट भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है क्युकी खाड़ी देशो में लगभग 80 लाख भारतीय काम करते है। ऐसे में इनके ऊपर रोज़गार का संकट गहरा सकता है। इसके साथ साथ जो पैसा भारत में बहार से आता है उसका आधा हिस्सा केवल खाड़ी देशो से आता है। वर्ष 2018 के मुताबिक भारत में लगभग $410 बिलियन पैसा बाहर से आया इसका आधा भाग यानी लगभग $210 बिलियन केवल खाड़ी देशो से आया।
लेकिन कुछ जानकार का मानना है की भारत अपनी भडारण छमता बढ़ा कर इस अवसर का लाभ उठा सकता है। कोरोना वायरस के चलते तेल की मांग में भारी कमी आ गयी है। तेल उत्पादक देशो के पास तेल की आपूर्ति इतनी हो गयी है की रखने का संकट गहरा गया है। जिसके कारण तेल की कीमतों के भारी गिरावट जारी है। कई जानकार का मानना है की अभी और बुरे दिन आने वाले है।
लेकिन भारत के लिए ये ज्यादा चिंता की बात नहीं है क्युकू भारत की तेल की आपूर्ति ब्रेंट क्रूड जो रूस का इंडेक्स है वहां से और खाड़ी देशों से होता है। ब्रेंट क्रूड उच्चतम गुणवत्ता से भरपूर होता है और लगभग कच्चे तेल का 75% भाव यही से तय होता है। ब्रेंट क्रूड भी लगभग $20 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। ये भी पिछले 2 दशक के अपने न्यून्तम स्तर पर है। खाड़ी देश सिर्फ तेल पर ही निर्भर करते है और तेल के भाव में लगातार गिरावट भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है क्युकी खाड़ी देशो में लगभग 80 लाख भारतीय काम करते है। ऐसे में इनके ऊपर रोज़गार का संकट गहरा सकता है। इसके साथ साथ जो पैसा भारत में बहार से आता है उसका आधा हिस्सा केवल खाड़ी देशो से आता है। वर्ष 2018 के मुताबिक भारत में लगभग $410 बिलियन पैसा बाहर से आया इसका आधा भाग यानी लगभग $210 बिलियन केवल खाड़ी देशो से आया।
लेकिन कुछ जानकार का मानना है की भारत अपनी भडारण छमता बढ़ा कर इस अवसर का लाभ उठा सकता है। कोरोना वायरस के चलते तेल की मांग में भारी कमी आ गयी है। तेल उत्पादक देशो के पास तेल की आपूर्ति इतनी हो गयी है की रखने का संकट गहरा गया है। जिसके कारण तेल की कीमतों के भारी गिरावट जारी है। कई जानकार का मानना है की अभी और बुरे दिन आने वाले है।
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