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रविवार, 19 अप्रैल 2020

कोरोना वायरस के बाद की दुनिया कैसी होगी - एक नज़रिया


आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना वायरस से अपने अपने तरीके से लड़ रहा है। इस महामारी से अब तक 23 लाख़ से अधिक लोग प्रभावित हो चुके है और 1 लाख़ 60 हज़ार से अधिक लोग अपने प्राण गवां चुके है। सामाजिक दूरी एक सामान्य समाधान है जिसे हर देश ने अपने अपने तरीके से अपनाया है।

एक सवाल सबके मन में आता है की कोरोना वायरस के बाद की दुनिया कैसी होगी? सोशल मीडिया में भी ये एक चर्चित विषय बना हुआ है। कुछ चीज़ो पे अगर नज़र डाले तो शायद निश्चित रूप से बदले।

पहली है,  लोगो की सोच। कुछ लोगो की सोच तो निश्चित रूप से बदलेगी। जो लोग कुदरत प्रेमी है वो कुदरत की तरफ और ज्यादा प्रभावित होंगे। इसी तरह धार्मिक लोग अपने अपने धर्म अनुसार पूजा पाठ, बंदगी में और अधिक विलीन होकर ईश्वर से लौ लगाएंगे क्युकी आज सारे आधुनिक उपकरण होने के बाद भी मनुष्ये कितना असाहाये और बेबस है ये हम सबने भले भाती देख लिया है। 

दूसरी और जहा ध्यान जाता है, वो है डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के छेत्र में और आधुनिक  और नवीन  उपकरणों की खोज। वैसे तो आज का युग डिजिटल युग ही कहा जाता है लेकिन इस महामारी में जिस तरह लोग डिजिटल का और अधिक उपयोग कर रहे है उससे इस छेत्र में और अधिक नवोन्मेष की सम्भावना दिख रही है। उदाहरण, शिक्षा के छेत्र में ऑनलाइन क्लासेज हो या ऑनलाइन चिकित्सक सलाह और इलाज में लोगो की बढ़ती रूचि। खान पान की सामग्री की ऑनलाइन बिक्री जो अभी तक बहुत सिमित थी इसमें भी लोगो की खासी रूचि देखने को मिली है।  अब लोगो की रूचि ऑनलाइन लेन देन में और अधिक दिख रही है। इन सब चीज़ो पर नज़र डालें तो इस छेत्र में निकट भविष्ये में  नए द्वार खुले नज़र रहे है।

एक और चीज़ जो देखने को मिली वो है कोरोना वायरस का टेस्ट और इलाज का खर्च। चाहे भारत हो या दुनिया के अन्य देश कोरोना वायरस का टेस्ट और इलाज कराने में समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग असमर्थ है। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र को केवल बेहतर बल्के किफ़ायती बनाने की मांग बढ़ी है। अगर हेल्थ सेक्टर आज किफायती होता तो हम कोरोना वायरस के प्रभाव को कम  करने में बहुत हद तक कामयाब होते। नतीजन हमें सरकार के ऊपर ही निर्भर होना पड़ रहा है लेकिन सरकार की अपनी सीमाएं  होती है।  भविष्ये में इस तरह की आपदा से लड़ने के लिए लोगो को खुद निर्भर बनाने की आवष्यकता है जिससे सरकारों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। ये देखना दिलचस्प होगा की कौन सा देश क्या क्या कदम उठता है। भारत में क्या मीडिया हिन्दू मुस्लमान में ही उलझा रहेगा या हेल्थ सेक्टर को बहतर और किफायती बनाने की मांग उठाएगा।

आर्थिक संकट की क्या दशा होगी। आज सम्पूर्ण विश्व की आर्थिक हालत चरमरा गयी है। कई देशो ने भिन भिन प्रकार से राहत पैकेज की घोषणा की है। कोरोना वायरस के बाद कौन सा देश आर्थिक संकट से उभर पाता है ये देखना होगा। कई जानकार बताते है के कोरोना वायरस के बाद आर्थिक संकट से उभरना आसान नहीं होगा। शायद दुनिया कभी आर्थिक संकट से उभर ही पाए ये भी एक पहलु है।

क्या दुनिया का केंद्र बदल जायेगा ?  ये भी एक सवाल उठ रहा है। आज चीन इसी  होड़ में लगा हुआ है तो अमेरिका और चीन में ज़बानी जंग जारी है। यूरोपियन यूनियन आपस में ही लड़ रहे है। भारत जिसकी अर्थवयवस्था पहले से ही नोटबंदी और G.S.T. से चरमरायी हुई है और अब कोरोना वायरस के कारण जो आर्थिक संकट पैदा हुआ है उससे उभर पाना भारत के लिए आसान नहीं है अमेरिका भी बुरी तरह से प्रभावित है। ऐसी  हालत में चीन दुनिया का केंद्र बनने का सपना देख रहा है। लेकिन अगर अमेरिका चीन से युद्ध की तरफ जाता है तो ये सम्पूर्ण विश्व के लिए तबाही होगी। जान के साथ साथ जो माली नुक्सान होगा वो हम सबको ले डूबेगा।

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