अभी तो हमने हुंकार भरी है
क्यों ये हुकूमत हमसे डरी है.
ये आगाज़ है तेरे अन्जाम का
आगे तेरे लिए मुश्किल बड़ी है.
आगे तेरे लिए मुश्किल बड़ी है.
ये तख़्त तुम्हारे सब बह जायेंगे इस सैलाब में बड़ी खल बली है.
मुल्क हमारा मुश्तर्का विरासत है
क्या फ़क़त तुमने ही लड़ाई लड़ी है.
लाशें किसकी दरख्तों पे मिली है
बू किसकी यहाँ मिटटी में बसी है.
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