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सोमवार, 25 नवंबर 2019

खुदा के वास्ते अब बेरुखी से काम न ले | साहिर भोपाली की एक मशहूर नज़म








खुदा के वास्ते अब बेरुखी से काम ले
तड़प के फिर कोई दमन को तेरे थाम ले

बस एक सज्दा--शुक्राना पा--नाज़ुक पर
ये मैकदा है यहाँ पर खुदा का नाम ले

ज़माने भर में है चर्चे मेरी तबाही के
मैं डर रहा हूँ कही कोई तेरा नाम ले

मिटा दो शौक़ से मुझ को मगर कही तुम से
ज़माना मेरी तबाही का इंतक़ाम ले

जिसे तू देख ले इक बार मस्त नज़रों से
वो उम्र भर कभी हाथों में अपने जाम ले

रखू उम्मीद--करम उस से अब में क्या "साहिर"
की जब नज़र से भी ज़ालिम मेरा सलाम ले

(#साहिर भोपाली)

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