आ की मेरी जान में क़रार नहीं है
ताक़त-इ-बेदाद-इ-इंतज़ार नही है
देते है जन्नत हयात-इ- दहर के बदले
नशा बा_अंदाज़ा-इ-खुमार नही है
गिरियां निकाले है तेरी बज़्म से मुझ को
हाय की रोने पे इख्तियार नही है
हम से अबस है ग़ुमान-इ-रंजिश-इ- ख़ातिर
ख़ाक में उश्शाक़ की ग़ुबार नहीं है
दिल से उठाया लुफ्त-इ-जलवा हाय मायनी
ग़ैर-इ-गुल आइना-इ-बहार नहीं है
क़त्ल का मेरे किया है अहद तो बारे
वाये अगर अहद उस्तवार नहीं है
तू ने क़सम मयकशी की खा ली है 'ग़ालिब'
तेरी क़सम का कुछ ऐतबार नहीं है
#मिर्ज़ा ग़ालिब
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