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रविवार, 24 फ़रवरी 2019

फैज़ अहमद फैज़ | आज बाजार में प् बाजोला चलो


चश्म नम जान शोरीदा काफी नहीं
तोहमत इश्क़ पोशीदा काफी नहीं
आज बाजार में प् बाजोला चलो
दस्त अफाशां चालो मस्त रकसा चलो
खाक बार सर चलो खू  दामा चलो
राह तकता है सब शहर जाना चलो
हाकिम  शहर भी मजमा आम भी
तीर  इलज़ाम भी संग दुशनाम भी
सुबह नाशाद भी रोज़ नाकाम भी
उन का दम साज़ अपने सिवा कौन है
शहर जाने में अब बसफा कौन है
दस्त कातिल के शया रहा कौन है
रक्त दिल बांध लो दिल फिगारो चलो
फिर हमीं क़तल हो आये यारों चलो

(फैज़ अहमद फैज़)

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

आरज़ू लखनवी | गोर गोर चाँद से मुँह पर, काली काली आँखें है




गोर गोर चाँद से मुँह पर, काली काली आँखें है
देख कर जिनको नींद उड़ जाये, वो मतवाली आँखें है
मुँह से पल्ला क्या सरकना, इस बदिल में बिजली है
सूझती है ऐसी ही नहीं, जो फूटने वाली आँखें है
चाह ने अँधा कर रखा है, और नहीं तो देखने में
आंखें आंखें सब है बराबर, कौन निराली आँखें है
बेजिस के अँधेरे है सब कुछ, ऐसी बात है उसमे क्या
जी का है ये बावलापन या भोली भाली आँखें है
आरज़ू अब भी खोटे खरे को, कर के अलग ही रख देंगे
उनकी परख का क्या कहना है, जो टिकसाली आँखें है


(आरज़ू लखनवी)

सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

आतिश लखनवी | ए सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है


सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है
उसी अल्लाह ने मुझको भी मोहब्बत दी है

तेग बे आब है बाज़ू- -कातिल कमजोर
कुछ गिरां जानी है कुछ मौत ने फुर्सत दी है

कोई अक्सीर, गनी दिल नहीं रखती ऐसा
खाकसारी नहीं दी है मुझे दौलत दी है

फुरक़त- -यार में रो रो के बसर करता हु
ज़िंदगानी मुझे क्या दी है मुसीबत दी है

याद- -महबूब फ़रामोश होवे दिल
हुस्न- -नियत ने मुझे इश्क़ सी नेमत दी है

गौशे पैदा किये सुनने को तेरा ज़िक्र- जमाल
देखने को तेरे आँखों ने बसारत दी है

लुत्फे दिल बस्तगी आशिक़ शैदा को पूछ
दो जहाँ से इस असीरी ने फरागत दी है

क़मर --यार के मज़मून को बंधू 'आतिश'
ज़ुल्फ़--खुबा से मरे तुम को तबियत दी है.
 .
(आतिश लखनवी)

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