चश्म ए नम जान ए शोरीदा काफी नहीं
तोहमत ए इश्क़ पोशीदा काफी नहीं
आज बाजार में प् बाजोला चलो
दस्त अफाशां चालो मस्त ओ रकसा चलो
खाक बार सर चलो खू ब दामा चलो
राह तकता है सब शहर ए जाना चलो
हाकिम ए शहर भी मजमा ए आम भी
तीर ए इलज़ाम भी संग ए दुशनाम भी
सुबह ए नाशाद भी रोज़ ए नाकाम भी
उन का दम साज़ अपने सिवा कौन है
शहर ए जाने में अब बसफा कौन है
दस्त ए कातिल के शया रहा कौन है
रक्त ए दिल बांध लो दिल फिगारो चलो
फिर हमीं क़तल हो आये यारों चलो
(फैज़ अहमद फैज़)