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सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

आतिश लखनवी | ए सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है


सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है
उसी अल्लाह ने मुझको भी मोहब्बत दी है

तेग बे आब है बाज़ू- -कातिल कमजोर
कुछ गिरां जानी है कुछ मौत ने फुर्सत दी है

कोई अक्सीर, गनी दिल नहीं रखती ऐसा
खाकसारी नहीं दी है मुझे दौलत दी है

फुरक़त- -यार में रो रो के बसर करता हु
ज़िंदगानी मुझे क्या दी है मुसीबत दी है

याद- -महबूब फ़रामोश होवे दिल
हुस्न- -नियत ने मुझे इश्क़ सी नेमत दी है

गौशे पैदा किये सुनने को तेरा ज़िक्र- जमाल
देखने को तेरे आँखों ने बसारत दी है

लुत्फे दिल बस्तगी आशिक़ शैदा को पूछ
दो जहाँ से इस असीरी ने फरागत दी है

क़मर --यार के मज़मून को बंधू 'आतिश'
ज़ुल्फ़--खुबा से मरे तुम को तबियत दी है.
 .
(आतिश लखनवी)

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