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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

क्या क़यामत रूप है तेरा | जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा


क्या क़यामत रूप है तेरा
जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………

तुझे देखकर सब कुछ भूल जाते है
दिन में भटकते है शब् में खो जाते है
ये चाँद सितारे ये कहकशा ये नज़ारे
तेरे हुस्न के आगे बेनूर है सारे
तेरे नाम से ही जीवन में है सवेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………

क्या क़यामत रूप है तेरा
जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………

तू बसती है साँसों में मेरी
बूँद पानी की बनकर मोती
सजती है तुमपर
ये दिल ये जवानी ये ज़िन्दगी की कहानी
क्या सुनायें हम अपनी ज़बानी
तेरे नाम से है जीवन में रवानी

क्या क़यामत रूप है तेरा
जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………




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