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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

मदहोशी का ये समां | हमपे छाने लगा


मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………

रात भीगी भीगी है
हवा भी कुछ कम नहीं है
तू मेरे रु ब रु है
धड़कन भी बस में नहीं है
मदहोशी का ये समां………………………

मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………


दो दिलों के दरमियाँ  
फासलें ये कितने है
चार कदम चलने में
लाज ये कितनी है
मदहोशी का ये समा……………………

मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………

मौसम की अंगडायिओं पे
दिल बहक बहक जाये
हद से गुज़र जाने को
दिल ये ललचायें
मदहोशी का ये समा………………………

मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………


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