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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

मदहोशी का ये समां | हमपे छाने लगा


मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………

रात भीगी भीगी है
हवा भी कुछ कम नहीं है
तू मेरे रु ब रु है
धड़कन भी बस में नहीं है
मदहोशी का ये समां………………………

मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………


दो दिलों के दरमियाँ  
फासलें ये कितने है
चार कदम चलने में
लाज ये कितनी है
मदहोशी का ये समा……………………

मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………

मौसम की अंगडायिओं पे
दिल बहक बहक जाये
हद से गुज़र जाने को
दिल ये ललचायें
मदहोशी का ये समा………………………

मदहोशी का ये समां
हमपे छाने लगा
मदहोशी का ये समां……………


क्या क़यामत रूप है तेरा | जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा


क्या क़यामत रूप है तेरा
जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………

तुझे देखकर सब कुछ भूल जाते है
दिन में भटकते है शब् में खो जाते है
ये चाँद सितारे ये कहकशा ये नज़ारे
तेरे हुस्न के आगे बेनूर है सारे
तेरे नाम से ही जीवन में है सवेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………

क्या क़यामत रूप है तेरा
जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………

तू बसती है साँसों में मेरी
बूँद पानी की बनकर मोती
सजती है तुमपर
ये दिल ये जवानी ये ज़िन्दगी की कहानी
क्या सुनायें हम अपनी ज़बानी
तेरे नाम से है जीवन में रवानी

क्या क़यामत रूप है तेरा
जैसे रात में हो चाँद सुन्हेरा
क्या क़यामत रूप है तेरा…………




कब से मना रहा हु वो ज़ालिम मानता नहीं | क्या तुम मुझे चाहोगी मेरे मर जाने के बाद

कब से मना रहा हु वो ज़ालिम मानता नहीं
क्या तुम मुझे चाहोगी मेरे मर जाने के बाद
कब से मना रहा हु ……………

चल चल के हवायें भी रुक गयी
आ आ के बहारे भी गुज़र गयी
कलियों की रंगतें भी उतर गयी
पर तेरी ना से सनम हां न हुई
हाँ भी कर दे ज़ालिम क्यों मानता नहीं
कब से मना रहा हु ……………

न जाने किस बात से तुम रूठे हो
कोई वजह भी तुम बताते नहीं
मन्नते, इल्तिजा, खुशामदें बेकार है सारे
और हम है बेसहारें
फैला के बाहें दे दे सहारा
कब से मना रहा हु ……………

किस बात का तुमको गुरुर है
क्या तुम जन्नत की कोई हूर हो
अफ़सरा हो या नूर हो
क्या हो तुम बता दो हमें ज़रा
कब से मना रहा हु ……………

कब से मना रहा हु वो ज़ालिम मानता नहीं
क्या तुम मुझे चाहोगी मेरे मर जाने के बाद
कब से मना रहा हु ……………







महजबी महजबी ओ महजबी महजबी | तेरी शबी मेरी आँखों में बसी | तेरी बाहों में मेरी रातें कटी

महजबी महजबी ओ महजबी महजबी
तेरी शबी मेरी आँखों में बसी
तेरी बाहों में मेरी रातें कटी
महजबी महजबी  माहजबीं माहजबीं………………

दिल में तेरी यादें है
यादो में फ़रयादें है
दिल तुझसे मिलने को बेकाबू है
धड़कन भी बस में नहीं

महजबी महजबी ओ महजबी महजबी
तेरी शबी मेरी आँखों में बसी
तेरी बाहों में मेरी रातें कटी
महजबी महजबी  माहजबीं माहजबीं………………

मेरी आबरू तुझसे है
मेरी जुस्तुजू तुझसे है
मेरी आशिक़ी तुझसे है
तू है मेरे लिए बनी

महजबी महजबी ओ महजबी महजबी
तेरी शबी मेरी आँखों में बसी
तेरी बाहों में मेरी रातें कटी
महजबी महजबी  माहजबीं माहजबीं………………





किस्मत होगी मेरी ऐसी | मैंने कहा ये सोचा था | तू यार मेरा बन जायेगा | मैंने कहा ये सोचा था


किस्मत होगी मेरी ऐसी
मैंने कहा ये सोचा था
तू यार मेरा बन जायेगा
मैंने कहा ये सोचा था
किस्मत होगी मेरी ऐसी………………

तेरा इंकार सनम इक़रार बन गया
ज़िन्दगी का एक सपना  सच्चा हो गया
तेरी चाहत ही तो है ज़िन्दगी अपनी
मेरे दिल में इसी से है रौशनी
पाके तुझे मुझे आज दोनों जहा मिल गया
तू यार मेरा बन जायेगा…………

तुमसे मिलकर खिलने लगी है सारी फ़िज़ाएं
सजने लगी है जीवन की राहें
महक उठी है ये वादियां सारी
कहानी बन गयी है अपनी कहानी
तू यार मेरा बन जायेगा…………

तुम ही तो हो बस ज़िन्दगी में अपनी
तुम्हारी चाहत है बस ज़िन्दगी अपनी
तुम्हारी खुशियाँ है खुशियाँ अपनी
आँसू तेरे हो तो पलके हो मेरी
तू यार मेरा बन जायेगा…………

किस्मत होगी मेरी ऐसी
मैंने कहा ये सोचा था
तू यार मेरा बन जायेगा
मैंने कहा ये सोचा था
किस्मत होगी मेरी ऐसी………………



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