वैज्ञानिक भाषा में कोरोना वायरस जिसे कोविद 19 कहा जाता है, को विश्व स्तर की महामारी घोषित किया जा चुका है । इसने लगभग 22000 लोगों की जान ले ली है और अब तक 500000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है।
यह महामारी हमें कई सबक सिखाती है और हमें सोचने पर विवश भी करती है। यह हमें सिखाती
है कि हम निकट भविष्य में इस प्रकार की महामारी
से लड़ने के लिए कितने तैयार हैं। महामारी और अधिक खतरनाक और घातक भी हो सकती है,
इसलिए हमें अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अधिक
तैयार रहना चाहिए। इसने हमें यह सोचने पर भी विवश किया है कि हम इस तथ्य के बावजूद प्रकृति
के सामने कितने असहाय हैं कि हमारे पास आधुनिक
विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अनुसंधान प्रयोगशाला और आवश्यक
सभी प्रकार के संसाधन हमारे पास उपलब्ध हैं।
आज, सभी विशेषज्ञों ने इस तथ्य
को स्वीकार किया कि किसी भी महामारी को ठीक करने के लिए सामाजिक दूरी , स्व-संगरोध, सीमाओं को सील करना सबसे महत्वपूर्ण कदम है। इस्लाम 1400 साल पहले पूरी दुनिया को यही इलाज सिखाता है। मैं
हैरान और अचंभित हूं और इस्लाम धर्म की महानता को नमन करता हूं।
इसके संधर्ब में हदीस इस प्रकार है।
"यदि आप एक भूमि में प्लेग के प्रकोप के बारे में सुनते हैं,
तो उसमें प्रवेश न करें, लेकिन यदि आप उस स्थान पर रहते है जहा प्लेग फेल चुका है तो
उस स्थान को न छोड़ें" (सहीं बुखारी और मुस्लिम) | हमने इस बात का पालन नहीं किया और अंजाम पुरे विश्व के सामने
है | चीन से इस महामारी की शरुआत
हुई और जब उसके घातक परिणाम हम सबके सामने थे तभी हमें चीन को पुरे विश्व के अलग थलग
करके वहां आवा जाहि पर रोक लगा देनी चाहिए थी | इसके लिए मे मुस्लिम देशो और समुदाय को दोषी ठहराऊँगा जिनके
पास इतनी कारगर हदीस मौजूद होने के बावजूद उसने विश्व को अवगत नहीं कराया और न खुद उसका पालन किया |
भारत का कदम इस दिशा मे अब तक कारगर साबित हुआ है | लेकिन अंतरराष्ट्रीय
मीडिया मे इसकी आलोचना इस बात को लेकर हो रही है की भारत विश्व को सही संख्या
नहीं बता रहा है और पर्याप्त मात्रा मे कोरोना
वायरस मरीज़ का टेस्ट नहीं कर रहा है | इन दावों को लेकर बहस की जा सकती है लेकिन वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन द्वारा की
गयी प्रशंसा भारत के लिए एक अच्छी खबर है | बहस इस बात की भी है की
भारत ने इस महामारी को नियंतरण करने की दिशा में कदम बहुत देरी से उठाये |
भले ही कदम देरी से हो लेकिन अभी तक लोग इस महामारी
की गंभीरता को न तो समझ रहे है और न ही सरकार द्वारा उठाये गए कदम का पालन सही तरीके
से कर रहे है | क्या 1 महीने
पहले उठाये गए इस कदम को कितना लोग समझते और कितनी गंभीरता से लेते यह बात हम सब भले
भाति जानते है | तब सरकार के समर्थन और विरोध
मे सोशल मीडिया और मीडिया समुदायों मे बट जाता और एक भिन प्रकार की बहस शरू हो जाती
| हम सब लोगो को मिलकर ही इस
बात को गंभीरता से लेना और समझना होगा तभी हम इस महामारी के खिलाफ लड़ने में काफी हद
तक सफल होंगे | विश्व भर की सरकारे इस महामारी
को नियंतरण करने मे विफल ही साबित हुई है |
भारत मे अगर इसको नियंतरण नहीं किया गया तो वैज्ञानिको ने चेताया है की मई के मध्यांतर
तक कोरोना वायरस के मरीज़ो की संख्या 10 लाख
से 13 लाख तक जा सकती है। भारत सरकार कि वव्यस्था
अच्छी है लेकिन दिहाड़ी मजदूरों और गरीबो के लिए संगठित तौर पर सोचने की और अमल करने
की जरुरत है. | इसके लिए समाज के सक्षम वर्ग को भी शीघ्र पहल करनी होगी |
इस महामारी की औषधि के लिए विश्व भर की लगभग 35 कम्पनीज, शैक्षणिक संसथान होड़ मे लगे
हुए है। मोदेर्णा कंपनी इसकी औषधि के लिए मानव
परीक्षण के चरण मे दाखिल हो गयी है|
लेकिन डॉ. फौकि के अनुसार
साधारण जनता के उपयोग हेतु इसकी औषधि को बाजार मे आने मे 12 से 18 माह का समय लग सकता है |
इसलिए स्वयं को नियंतरण कर
हम इस महामारी से लड़ने में काफी हद तक कामयाब हो सकते है | यही एकमात्र रास्ता अभी हमें नज़र आता है |
घर में रहे सुरक्षित रहे
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