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रविवार, 29 मार्च 2020

कोरोना वायरस | क्या दिहाड़ी मजदूरों पर हमसे चूक हुई ?



कोरोना वायरस नामक महामारी जो आज सम्पूर्ण विश्व के लिए एक चुनौती बन चुकी है। भारत में इसका प्रभाव ज्यादा ना पड़े इसके लिए भारत सरकार ने मजबूत और सख्त फैसले लेते हुए एक अच्छी और सकारात्मक पहल की। इसमें जो लोग कोरोना वायरस नामक बीमारी से ग्रस्त लोगो की सेवा में लगे हुए है उनका उत्साह बढ़ाने से लेकर आर्थिक पैकेज तक की घोषणा एक प्रशंसनीय कदम है।

लेकिन हमने ताली और थाली बजाने के नाम पर जो तमाशा सड़को पर देखा ये हमारे मकसद को नाकाम भी करता है और समाज की एक बदनसीब तस्वीर भी पेश करता है।  बड़े बड़े उद्योग पतियों ने, अभिनेताओं ने अपने अपने परिवार के साथ राष्ट्र के नायकों का उत्साह बढ़ाया और लोगो  को लॉकडाउन का पालन करने की सलाह भी दी। ये हमें नयी और साकारात्मक पहल देखने को मिली। ये लोग समाज के प्रभावशाली लोग है और इनकी सलाह का लोगो पर असर भी पड़ता है।

लेकिन आज जो दिहाड़ी मजदूरों को लेकर सरकार से चूक हुई है ये चूक हम सबपर बहुत भारी पड़ सकती है क्युकी अगर इनके द्वारा ये बीमारी समाज के गरीब वर्ग में प्रवेश कर गयी तो  हम सब होने वाले नुक्सान का बस अंदाजा लगा सकते है। आज इस बात की शीघ्र आवश्य्कता है ये मजदूर जहां जहां काम करते थे वो सब लोग स्वयं इनकी ज़िम्मेदारी ले। जो नौजवान सोशल मीडिया पर जोक्स , मिम्स , टिक टोक बनाने में वयस्त है उन्हें भी अपने अपने तौर पर इन मजदूरों की मदद की पहल करनी चाहिए। राज्य सरकारे और समाज के कई वर्गों से लोग सामने आये है और इन पलायन करते मजदूरों की मदद कर रहे है। ये सब लोग तारीफ के पात्र है क्युकी ये एक ऐसी त्रासदी है जो सदियों में शायद एक बार होती है | जो मकान मालिक है उनसे भी आग्रह है वो भी अपने तौर पर हर संभव प्रयास करे। ये हमसब की छोटी छोटी ज़िम्मेदारी है जिसका पालन करके हम सब विजयी हो सकते है वरना ये हमसब की हार होगी। जब आने वाले समय में आज की तारीख़ का इतिहास लिखा जायेगा और हमारे बच्चे अगर हमसे हमारे किरदार के बारे में सवाल करेंगे तो शायद हमारे पास कोई सच्चा जवाब न हो।

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