Display Responsive

In Feed

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

भूले हैं रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम | खुमार बाराबंकवी | उर्दू ग़ज़ल


एक पल में एक सदी  का मजा हमसे पूछिए
दो दिन की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछिए.

भूले हैं रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम
किश्तों में ख़ुदकुशी का मजा हमसे पूछिए.

आगाज़ ए आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अन्जाम ए आशिक़ी का मज़ा हमसे पूछिए.

वो जान ही गए कि हमें उनसे प्यार है
आँखों की मुखबिरी का मजा हमसे पूछिए.


(खुमार बाराबंकवी )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

In Article