Display Responsive

In Feed

रविवार, 5 मार्च 2017

ओ मौला मेरा इश्क है कैसे, मेरा इश्क है कैसा | तू ही बता दे मुझे, मेरा इश्क है कैसा


ओ  मौला मेरा इश्क है कैसे, मेरा इश्क है कैसा
तू ही बता दे मुझे, मेरा इश्क है कैसा…………

इश्क़ हक़ीक़ी भी है, इश्क़ मजाज़ी भी
इश्क़ जब हद से गुज़र जाये तो जूनून भी है
इश्क़ वहशत भी , इश्क़ सुकून भी है
इश्क़ जुदाई भी, इश्क़ मिलन भी है
मेरा इश्क है कैसा, मेरा इश्क है कैसा
 मौला तू ही बता दे मुझे

मुफ़लिस है हम तेरी मोहब्बत के
फ़क़त एक चाह है तेरी न कुछ पास है अपने
ग़ुरबत है, फकीरी है, ये तेरी चाह कैसी है
मजलिस है तो वीरान है तमन्ना बस तेरी है
मेरा इश्क है कैसा, मेरा इश्क है कैसा
 मौला तू ही बता दे मुझे

इश्क़ में खुशिया है तो रुस्वाई भी
तेरे इश्क़ में क्या सहर क्या शाम है
दिल को चैन नहीं हर घडी बस याद तेरी है
तुझे पाने की चाह है, तलब  है, तमन्ना बस तेरी है
मेरा इश्क है कैसा, मेरा इश्क है कैसा
 मौला तू ही बता दे मुझे




दिल से, जिगर से, लहू से लिख रहा हु | तुझे ए सनम बेवफा लिख रहा हु.

दिल से, जिगर से, लहू से लिख रहा हु
तुझे ए सनम बेवफा लिख रहा हु.

इश्क़ के फ़साने भी क्या खूब लगते  है
क्यों लोग इश्क़ करते है, क्यों उनको गम मिलते है
क्यों तूने हमसे प्यार किया, क्यों तू हमको भूल गयी
क्या ये हकीकत तेरी थी या फिर ग़ुरबत मेरी थी
में अपनी ही ग़ुरबत को दोष देकर
खुद को तनहा लिख रहा हु.
दिल से जिगर से……………………………

इश्क़ की हकीकत कुछ नहीं एक झूठा नग़्मा  है
सब प्यार की बातें झूठी है, सब यार की बातें झूठी है.
सब रिश्ते नाते झुटे है, सब दिल की कहानी झूठी है.
क्या ये अदाएं तेरी थी, या फिर किस्मत मेरी थी
में अपनी किस्मत पे  इलज़ाम धर कर
खुद को बदनसीब लिख रहा हु
दिल से जिगर से………………………………………

सनम किस क़दर मुश्किल है तेरे बिना जीना
ये सर्द हवाएं तड़पायेगी, ये बिरहा की धुप जलायेगी.
ये आती बहारे सताएंगी, ये जाता सावन रुलायेगा
क्यों तूने बेवफ़ाई की, क्यों तूने हमको ग़म  दिया
तुझसे गिला न करके,
में बहारो पे इलज़ाम लिख रहा हु
दिल से जिगर से………………………………………






भीगी हवायें तेरे आँचल से जो आये | मुझे रह रह के ये तड़पायें.


भीगी हवायें तेरे आँचल से जो आये
मुझे रह रह के ये तड़पायें.

बहारों  की अदाओं पे
मौसम ये बहका जाये
तेरी हर अदायें
मुझे दीवाना बनाये
भीगी हवायें------------

भीगी हवायें तेरे आँचल से जो आये
मुझे रह रह के ये तड़पायें.

ख़्याल तेरा मुझे सुलाये
ख़्याब तेरा मुझे जगाये
मेरे हर ख़्याब की तू
ताबीर बन जाएं
भीगी हवायें------------

ज़ुल्फ़ों में तेरे हिना की खुशबू
आँखों में तेरे मेय का प्याला
मुझे इस माये की तलब हो जाये
भीगी हवायें------------

भीगी हवायें तेरे आँचल से जो आये
मुझे रह रह के ये तड़पायें.



In Article