गुलशन महक उठा है बदन के शरारो में
घटा सिमट के आ गयी है कोहसरो में
मेरी दहलीज पे जो तेरे कदमों की खटक होती है
जैसे धड़कन बढ़ने लगी है दिल के वीराने में
हाथ तेरा मेरे
हाथों में जो आ जाये
बहार आ जाये
ज़िन्दगी के सुनसान जज़ीरो में
बात जो तुझमे है वो कहा है चाँद सितारों में
क़रार जो तेरी दीद में है वो कहा है नज़ारो में
अरमान उबल रहे है दिल के सुर्ख रुक्सारो में
सदायें आ रही है ज़िन्दगी की आबशारों में
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