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सोमवार, 8 जनवरी 2018

इश्क़ आगाज़ ही से मुश्किल है | सब्र करना अभी से मुश्किल है | अहमद फ़राज़ | उर्दू ग़ज़ल


आशिक़ी बेदिली से मुश्किल है
फिर मुहब्बत उसी से मुश्किल है

इश्क़ आगाज़ ही से मुश्किल है
सब्र करना अभी से मुश्किल है

हम वो इंसान है की हमारे लिए
दुश्मनी दोस्ती से मुश्किल है

जिस को सब बेवफा समझते हो
बेवाफ़ाई उसी से मुश्किल है

एक दो दूसरे से सहेल न जान
हर कोई हर किसी से मुश्किल है

तू बाज़ीद है तो जा 'फ़राज़' मगर
वापसी उस गली से मुश्किल है


(अहमद फ़राज़)

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