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गुरुवार, 26 जनवरी 2017

तन्हाई | तुमसे गम ऐ फुरकत भी मिला और मिली तन्हाई भी | ज़ख्म अपनों से मिला किससे करें गिला बेवफाई का | Poet Diary


तुमसे गम ऐ फुरकत भी मिला और मिली तन्हाई भी
ज़ख्म अपनों से मिला किससे करें गिला बेवफाई का

विसाल ए यार भी है और शब् ए तन्हाई भी है
बयां  किस्से करते हम आशिक़ ऐ हरजाई का

वो तेरा होते हुए, तुझसे कुछ बेगाने भी है
सब्र देखेंगे वो मेरा और ज़ब्त मेरी बिनाई का.



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