Display Responsive

In Feed

मंगलवार, 24 जनवरी 2017

अहसास इश्क़ और जज़्बात | ये जो मेरे और तुम्हारे अहसासात है | इस्म ऐ इश्क़ दरअसल वही जज़्बात है | Poet Diary


ये जो मेरे और तुम्हारे अहसासात है
इस्म ऐ इश्क़ दरअसल वही जज़्बात है

नज़रों से ज़ाहिर होते ख़यालात है
क्या लाज़िम हमें अब मुलाक़ात है

रंज ओ फ़िक्र की तुम्हे क्या बात है
पोशीदा मुझमे तेरी हर बात है

इश्क़ दोबारा हो तो बस अहतियात है
वो हमसे इश्क़ में अब मोहतात है

तुम्हारी बाहों में मेरी कायनात है
नहीं तो बस तन्हाँईयो की सौगात है

हमें दास्ताँ ऐ इश्क़ में अहतियात है
बेशक मेरा लहू उसकी दवात है




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

In Article