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शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023

सदा ये रोज़ मस्जिद से आयी

 आओ क़ामयाबी की तरफ सदा ये रोज़ मस्जिद से आयी है

जैसा जिसका हो यक़ीन उसने वो ही क़ामयाबी पायी है। 


करम ही करम अता है आपका हुज़ूर हम गुनाहग़ारों पर

ये देख़ नदामत से इस गुनाहग़ार की आँख भर आयी है। 


जिस किसी ने भी थामा है दामन दामन ऐ मुस्तफ़ा का

इम्तेहान हो सकता हो मगर मुसीबत न उस पे आयी है। 


मज़हब इस्लाम के लिए मैदान भी लाज़िम हुआ करता है

सिर्फ वज़ीफों से मदद ना आया करती है ना आयी है। 


ज़िक्र आपका बुलंद है बुलंद किया है खुद ख़ुदा ने

जिसने किया ज़िक्र आपका उसने ही बुलंदी पायी है।

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