वो जो जज़्बात निगाहों से अयां ना समझे
हाल ऐ दिल लफ्ज़ो से बयां वो क्या समझे |
ये नींद और ये ख़्वाब क्या है? वही समझे
वो जिसकी रातें तेरी ज़ुल्फ़ों मे उलझें |
ये ज़िन्दगी की राहें और ये दुशवारियाँ
जिसे साथ मयस्सर हो तेरा वो क्या समझे |
उनसे कोई शिकायत नहीं बस इक शिकायत है
मुझे ग़लत समझ कर वो ज़माने को भला समझे |