हाल ही में LAC पर हुए चीनी हमले में भारत सरकार बिलकुल उसी स्थिति में है जिस स्तिथि में किसी समय पर कांग्रेस हुआ करती थी। जो सवाल श्री रवि शंकर प्रसाद 2013 में कांग्रेस से पूछते थे आज बिलकुल वही सवाल उनकी पार्टी के ऊपर लागु होता है। 2014 में श्री राजनाथ सिंह एक चुनावी सभा को सम्भोधित करते हुए कहते थे अगर पाकिस्तान औरचीन को ये पता चलेगा की भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंदर मोदी बन गए है तो उनकी जुर्रत नहीं होगी भारत को आँखें दिखाने की। आज स्थिति ये है के पाकिस्तान और चीन को छोड़िये नेपाल भी भारत को आँखें दिखा रहा है।
आज सवाल कई है जिसका सही उत्तर भारत सरकार नहीं दे रही है। भारत सरकार ने जो अपनी सफाई में आल पार्टी मीट के बाद स्टेटमेंट दिया है उसे देकर वो खुद फस गयी है। जितना कड़ा रुख हमारा पाकिस्तान को लेकर रहता है उतना चीन को लेकर नहीं दिख रहा है। न ही नेपाल पर सामने आया है। क्या सरहद को लेकर हमारा नजरिया अलग अलग है। पाकिस्तान पे तेवर दिखाने से वोट मिलते है और चीन और नेपाल के साथ अभी तक तो ऐसा नहीं है इसलिए डिप्लोमेटिक हल की बातें होती है।
अगर मुख्य धरा मीडिया के रोल पर नज़र डालें तो क्रोध ही आता है। वो सही सवाल न पूछ रही है न सही तस्वीर दिखा रही है बस सरकार के बचाव में नज़र आ रही है। यही बचाव का कारण है एक पत्रकर ने सरकार को बचते हुए सेना के शौर्ये पे ही सवाल खड़ा कर दिया और सेना को कुसूरवार बना दिया। सवाल तो उस पत्रकार से भी बनता जो चीनी सैनिक को अपनी माँ का लाडला और डरपोक कह रहा था। सैनिक किसी देश का भी हो सैनिक होता है और अपने देश के लिए जान देने को हमेशा तैयार रहता है।
सरकार की कमज़ोरी और मीडिया के गैर ज़िम्मेदाराना रवय्ये से हमारे 20 जाबाज़ सैनिक वीर गति को प्राप्त हो गए। उनके परिवार के प्रति हमारी पूरी संवेदना है और हम अपने जवानो को शत शत नमन करते है।
सरकार से सही सवाल न पूछा जाये और इतना गंभीर मुद्दा खो जाये इसलिए सारा फोकस चीनी प्रोडक्ट के बहिष्कार को लेकर है। ठीक है सरकार यही चीनी प्रोडक्ट को भारत में बैन कर दे, सारे चीनी ठेके रद्द कर दे और चीनी एप्प पर पाबन्दी लगा दे। तब हमें लगेगा सरकार गंभीर है नहीं तो बस ये एक तमाशा है जो कुछ दिन चलेगा और धीरे धीरे हम सब भूल जायेंगे।
टिक टोक बैन हो इसे लेकर सोशल मीडिया भरा पड़ा है लेकिन अभी तक आधिकारिक रूप से इस एप्प
को बैन करने की घोषणा नहीं की गयी है। इन सबसे सरकार की मंशा और कमज़ोरी साफ़ दिखती है।