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शनिवार, 30 मई 2020

भारत और चीन के बीच बढ़ता तनाव | जाने मुख्य कारण




भारत और चीन के बीच तनाव किस बात को लेकर है
दोनों देशो के बीच तनाव तब बढ़ गया जब भारत ने आरोप लगाया की चीन सेना ने गलवान घाटी में कुछ टेंट लगाए हैं। वही चीन ने आरोप लगाया की भारत गलवान घाटी के पास सुरक्षा संबंधी ग़ैर-क़ानूनी निर्माण कर रहा है। गलवान घाटी LOC में स्थित अत्यंत महत्पूर्ण घाटी है। ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख़ तक फैली है।
भारत और चीन के बीच तनाव का मुख्य कारण क्या है
सीमा को लेकर भारत और चीन के बीच तनाव या झड़पे  कोई नया मुद्दा नहीं है। लेकिन मौजूदा तनाव को हलके में नहीं लिया जा सकता और न ही दोनों देश इस मुद्दे को हलके में ले रहे है। अगर पिछले कुछ समय पर नज़र डाले तो इस तनाव का मुख्य कारण भारत की तरफ से बॉर्डर इलाक़े में तेज़ हो रहा निर्माण कार्य हो सकता है। LOC पर गलवान घाटी एक ऐसी घाटी है जो पहुंच से बाहर है । दरअसल भारत ने इस घाटी में शियोक नदी से दौलत बेग ओलडी तक सड़क निर्माण का काम पूरा कर लिया है। लगभग सारे जानकार इसे एक बड़ी वजह मानते है। इससे चीन की क्रीपिंग पालिसी को झटका लगा है। इस पालिसी के तहत चीन धीरे धीरे विवादित इलाको में घुस कर उसे अपने अधिकार में लेना चाहता है। LOC पर निर्माण के काम से चीन ऐसा करने में असमर्थ होता दिख रहा है क्युकी सीमा पर विकास होने से उन इलाकों में भारत की पहुंच  बढ़ रही है।

दूसरा मुख्य कारण अभी हाल ही में भारत द्वारा अपने FDI के नियमों को सख़्त करना हो सकता है। दरअसल चीन अपने पीपल्स बैंक ऑफ़ चाइना के माध्यम से भारत के सबसे बड़े निजी बैंक HDFC में 1. 75 % की हिस्सेदारी लेना चाह रहा था। लेकिन भारत द्वारा किये गए सख़्त नियमों से उसकी विदेश निति तो धक्का लगा है। चीन कोरोना वायरस से मची अफरातफरी के बीच दुनिये के बड़े देशो की कम्पनीज में निवेश कर आर्थिक रूप से दुनिया पर अपना वर्चस्व क़ायम करना चाहता है ।

कोरोना वायरस की शुरुआत को लेकर अमेरिका और चीन के बीच ज़बानी जंग जारी है। अमेरिका लगातार चीन पर आरोप लगा रहा है के कोरोना वायरस चीन की लैब में तैयार किया गया है। तो वही चीन भी अपना रुख स्पष्ट कर चूका है। इसी तनातनी के बीच अभी हाल ही में 194 देशो ने वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक प्रस्ताव पेश किया कि इस मामले की जाँच होनी चाहिए कि दुनिया भर में नुक़सान पहुँचाने वाला कोरोना वायरस कहाँ से शुरू हुआ। अन्य देशो के साथ साथ भारत ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। कुछ जानकार का ये मानना है के बॉर्डर पर तनाव जारी रखने से चीन अपनी वैश्विक निंदा जो उसे कोरोना वायरस के चलते उठानी पढ़ रही है उसका फोकस बदलना चाहता है।

अमेरिका का मध्यस्ता प्रस्ताव

अमेरिकन प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और चीन के बीच विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्ता की पेशकश करी है जिसे चीन ने ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया के "हम वार्ता एवं विचार-विमर्श के जरिए समस्याओं को उचित तरीके से सुलझाने में सक्षम हैं. हमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है" । वही प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कहा है के प्रधान मंत्री मोदी सीमा विवाद को लेकर अच्छे मूड में नहीं है ।

मंगलवार, 26 मई 2020

एर्तुग्रुरुल ग़ाज़ी | क्या मुसलमानों को उनका हीरो मिल गया है | Ertugurul Ghazi




एर्तुग्रुरुल ग़ाज़ी | क्या मुसलमानों को उनका हीरो मिल गया है

अगर एक हदीस के हवाले से बात करें तो शायद ये वही वक़्त है जब दुनिया की सारी क़ौम मुसलमानों पर गिद्ध की तरह टूट रहीं है। जिसे आप इस्लामोफ़ोबिया भी कह सकते है। हिन्दुस्तान भी अब इससे अछूता नहीं रहा। मुस्लमान नौजवानों में एक डर का माहौल था। लेकिन उसी हदीस का एक पहलू ये भी है के मुस्लमान दुनिया से कभी ख़तम नहीं होंगे और क़यामत के करीब पूरी दुनिया में हुकूमत मुसलमानों की होगी । बस यही पहलु है जो मुसलमानों को हिम्मत और साहस देता है।

लेकिन मुसलमानों का इतिहास ऐसा नहीं था। उनके इतिहास में ऐसे अनगिनत वीरों के किस्से है के हर एक पर एक पूरी किताब लिखी जा  सकती है। ये सब इतिहास उनकी मज़हबी किताबों में लिखें है। जिसे चंद नौजवानो के अलावा शायद किसी ने पढ़ा हो। यहाँ ये बात भी सही साबित हो गयी के नौजवान नस्ल अपनी किताबों से दूर जा रही है।

टर्की ने वक़्त के हालात को देखते और समझते हुए नए संसाधन का उपयोग किया और मुसलमानों की ऐसी ही एक ख़िलाफ़त जिसे ख़िलाफ़त उस्मानिआ कहा जाता है उसपर एक सीरीज़ चालू की। इस सीरीज़ का नाम एर्तुग्रुरुल गाज़ी रखा गया। ख़िलाफ़त उस्मानिआ की बुनियाद एर्तुग्रुरुल गाज़ी ने ही रखी थी। और एक बहुत बड़े भू भाग पे खिलाफत उस्मानिआ ने लगभग 650 साल हुकूमत करी। इस सीरीज़ में मुस्लमान हुक्मरान को वहशी और आतंकवादी दिखा के अदल इन्साफ और क़ुरान के हुकुमों पे चलने वाला दिखाया और यही एक अटूट सत्ये है जिसे किसी भी मुख्य धारा मीडिया में अभी तक नहीं दिखाया है इसी कारण मुसलमानों में इस सीरियल को लेकर जो रूचि है वो कल्पना से परे। लेकिन अभिनय से भरे और उम्दा प्रोडक्शन की वजह से ग़ैर मुस्लिम भी इसमें रूचि ले  रहे है। जो एक खायी मुस्लिम समाज और मीडिया के बीच में थी वो खायी इस सीरियल ने बहुत उम्दा और बेहतरीन तरीके से भर दी है।

पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान ने एर्तुग्रुरुल ग़ाज़ी का उर्दू अनुवाद करके सरकारी चैनल PTV पर रमज़ान के महीने में लॉन्च किया। इसके लॉन्च होने के बाद ही इस सीरीज़ ने तूफ़ान सा खड़ा कर दिया और यूट्यूब के कई  सारे रिकार्ड्स तोड़ के रख दिए। इसे लेकर नौजवानों में एक अलग जोश दिख रहा है। लेकिन कई धार्मिक गुरुओं ने इसे सीरीज़ के देखने पर फ़तवा भी दिया है। ज़ाकिर नाइक ने भी यही कहा है इस सीरीज़ में नामहरम को बिना हिजाब के दिखाया गया है ऐसे में ये सीरीज़ देखना जायज़ नहीं है। लेकिन इसे लेकर मुस्लिम नौजवानों में जो जोश दिख रहा है वो जोश किसी भी धार्मिक गुरु की बात मानने को तैयार नहीं है मुस्लिम धर्म गुरु किसी चीज़ को लेकर फतवा दें और कंट्रोवर्सी खड़ी न करे ऐसा हो नहीं सकता। ये भी मुस्लिम समाज का एक सत्ये है 

आज एर्तुग्रुरुल की DP, एर्तुग्रुरुल का लिबाज़ , और बच्चो में एर्तुग्रुरुल बनकर खेल खेलना ये कुछ चीज़े मुस्लिम नौजवान में आम होती जा रही है। शायद एर्तुग्रुरुल में मुस्लमान अपने किसी हीरो तो तलाश रहा है ।

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