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सोमवार, 21 जनवरी 2019

आज तुम तख़्त नशीं हो कल कोई और होगा | हम मुहाफ़िज़ है क़लम के | हुकूमत से सवाल करते रहेंगे | Poet Diary





में बात सच कहता हु तंग नज़र ये समझते है सरकार की मुखालिफत करता हु हम एक ऐसे दौर में जा रहे है जहा सुनो सब कुछ
और करो वाह वाह 
गर पूछ लिया सवाल कोई तो गद्दारी का इलज़ाम है तुमपर ये वही दौर है जहाँ जो खबर नहीं वही खबर है
और जो खबर है वही बेखबर है सच पे पर्दा है, झूट का बोल बाला है ये मुल्क़ क्या अब उल्लुओं का गुलदस्तां है आज तुम तख़्त नशीं हो कल कोई और होगा
ये हुकूमत की कुर्सी है जनाब बदल बदल के चलती है
हमें इस कुर्सी को दीमक से बचाना है 
हरकत तुम्हारी बिलकुल वैसी ही है तुम सहाफ़त को मिटा देना चाहते हो
मगर हमें अपना काम आता है हम देश विदेश में बेजा घूमते नहीं
जुमले बनते नहीं वादा करता नहीं हम मुहाफ़िज़ है क़लम के
काम अपना करते रहेंगे हर दौर में हर हुकूमत से सवाल करते रहेंगे.

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