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सोमवार, 14 अगस्त 2017

ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम, भारत माता को प्रणाम | आरज़ू लखनवी | उर्दू ग़ज़ल


ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम, भारत माता को प्रणाम

तू कैसी प्यारी माँ है
सब माओं से अच्छी माँ है
लाड उठाने वाली माँ है
अपनी माँ है अपनी माँ है

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम

तेरी मांग में गंगा जल है
भरा पड़ा तेरा आँचल है
हरयाली है फूल है फल है
तेरी गोद सुख मण्डल है

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम

सबसे ऊँचे परबत वाली
सबसे बढ़कर शोकत वाली
सबसे भारी दौलत वाली
इज़्ज़त वाली अज़मत वाली

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम

तेरी छाती धर्म समंदर
जिसकी मौजे मस्जिद मन्दिर
दोनों की ही गूंज बराबर
अल्लाह अल्लाह ईश्वर ईश्वर

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम

हिन्दू मुस्लिम गोरे काले
प्रेम की दारु के मतवाले
सब है तेरी गोद के पाले
सब है बात पे मरने वाले

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम

तेरे दूध की सबमे ताकत
उल्फत, इज़्ज़त, हिम्मत, जुर्रत
तेरी दुआएँ फ़तह व नुसरत
तेरे पाँव के नीचे जन्नत

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम

अब तो लुटेरे तुझ को लूटें
बे भुगते भुगतान न छूटे
हाथ में धन हो बाज़ू टूटें
घूर के देखें आँखें फूटें

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम

तुझसे आशीर्वाद जो पाएं
आरज़ू ऐसे भी तन जायें
बिजली बनकर आफत धायें
दूर हो फिर तो सारी बलाएँ

माता को प्रणाम, ऐ माँ अ ऐ माँ तुझ को सलाम
ऐ माँ ऐ माँ तुझ को सलाम, भारत माता को प्रणाम

(आरज़ू लखनवी)











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